अब आतंकी भी देने लगे मानवता का वास्ता

आतंकवादी नाम सुनते ही एक ऐसे खूंखार इंसान की शक्ल ध्यान में आती हैं जिसका किसी दया धर्म से कोई लेना देना नही होता। जिसका मकसद सिर्फ और सिर्फ आतंक फैलाना होता हैं। ऐसे मे ये सुनना बहुत अजीब लगता हैं कि कोई आतंकवादी मानवता की दुहाई देने लग जाए।

भारत में रोहिंग्या मुस्लिमों पर बहस छिड़ी हुई हैं। सरकार सब रोहिंग्या लोगों को भारत से बहार कर देना चाहती हैं जबकि कुछ विपक्षी राजनीतिक दल इसके खिलाफ हैं। अभी मुक़द्दमा उच्चतम न्यायलय मे हैं और सरकार रोहिंग्या के आतंकी दलों से संबंधों का हवाला देकर उनको निकालने का आदेश देने की मांग कर रही हैं।

रोहिंग्या म्यांमार से विस्थापित हो रही प्रजाति हैं जिनकी नागरिकता म्यांमार सरकार ने 1982 ही रद्द कर दी थी और लगभग तब से ही उनका और म्यांमार सरकार का संघर्ष जारी हैं। ऐसा भी कहा जाता हैं की रोहिंग्या ने अपने लिए अलग देश की मांग करनी शुरू कर दी थी जिसकी वजह से ये हिंसात्मक संघर्ष शुरू हुआ। ये संघर्ष रोहिंग्या लोगों द्वारा बनाये गए संगठन अराकान रोहिंग्या मुक्ति सेना और म्यांमार सेना के बीच चल रहा हैं पर मानवाधिकार संगठन ऐसे किसी आतंकवादी संगठन के होने की बात से इनकार करते हुए पूरा आरोप म्यांमार सरकार पर लगाते रहे हैं।

पर अब उनकी बात को झूठा ठहराते हुए अराकान रोहिंग्या मुक्ति सेना ने ट्विटर पर म्यांमार सेना से संघर्ष विराम की प्रार्थना की हैं ताकि जो भी रोहिंग्या मुस्लिम इतनी मुश्किल परिस्थितियों मे जी रहे हैं उन तक राहत सामग्री पहुंचाई जा सके।

हमारा मानना हैं कि अगर आतंकवादी रोहिंग्या लोगों के लिए सही में फिक्रमंद हैं तो उन्हें संघर्ष विराम नही संघर्ष का अंत कर देना चाहिए। अगर 1775 से लेकर 1982 तक रोहिंग्या बिना किसी दिक्कत के बर्मा में रह सकते हैं तो आगे भी रह सकते हैं। ऐसे संघर्षों में सबसे ज्यादा अगर किसी का नुक्सान होता हैं तो वो मासूम बेक़सूर लोगों का ही होता हैं।

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