Month: September 2017
इधर उधर की
हमारे देश में राम राज्य की बातें बहुत होती हैं। राम राज्य होता तो सबके साथ बराबर का व्यवहार होता, शेर और बकरी एक घाट का पानी
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ज़रा सोचिये
कई बार मेरी माँ अपने एक ममेरे भाई को याद किया करती थी। वो कहती थी की वो बहुत अच्छा लड़का था पर छोटी सी उम्र मे ही
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ज़रा सोचिये
अब आप सोच रहे होंगे कि ये क्या बात हुई। चमक का ज़हर से क्या लेना देना। भई कलियुग हैं यहाँ कुछ भी हो सकता हैं। चमकीली चीज़
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इधर उधर की
आतंकवादी नाम सुनते ही एक ऐसे खूंखार इंसान की शक्ल ध्यान में आती हैं जिसका किसी दया धर्म से कोई लेना देना नही होता। जिसका मकसद सिर्फ और
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फिल्मों की चीरफाड़
अगर कोई मुझसे पूछे कि सिमरन फ़िल्म कैसी लगी तो मेरा उनसे सवाल होगा कि आपको “क्वीन” कैसी लगी थी। 2014 में न केवल खुद श्रेष्ठ फ़िल्म बनी
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ज़रा सोचिये
बात उस समय की हैं जब मैं 8वीं कक्षा मे पढ़ रहा था। एक दिन हमारे मास्टरजी ने कहा कि एक बहुत ही होशियार लड़का दुसरे विद्यालय से
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इधर उधर की
मकान में निवेश सबसे अच्छे निवेश में से माना जाता रहा है। खैर अभी हालात थोड़े खराब है पर फिर भी थोड़ा पैसा इकट्ठा होते ही हर कोई
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इधर उधर की
अपने देश मे अंग्रेज़ी की जितनी इज़्ज़त है उतनी तो शायद पूरी दुनियां मे कही भी नही होगी। कितने ही लोगो की भीड़ हो और आपस मे कितनी
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इधर उधर की
२०१४ से पहले मोदी शब्द का मतलब कुछ भी हो सकता था। वो IPL वाले ललित कुमार मोदी हो सकता था या तारक मेहता का उल्टा चश्मा वाले
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इधर उधर की
ये तो सच हैं की फेसबुक ने हमारे दिन का चैन और रात का सुकून छीन लिया हैं। सोते जागते दिन रात लोग फेसबुक मे लगे रहते हैं।
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