Month: October 2017

वो “अशुभ” दिन जब मुंशी प्रेमचंद की कहानियाँ फिर से जी उठी

6 साल पहले मैंने मुंशी प्रेमचंद जी की लघुकथाओं का संग्रह ख़रीदा था। कथा संग्रह २ भागों में था पर पढने का कभी समय ही नही मिला। करीब 2.5 वर्ष पहले जब मेरी माँ
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पटाखों की भ्रूण हत्या

1992 में एक फ़िल्म आई थी, नाम था यलगार। फ़िल्म के एक सीन में 53 वर्षीय पुलिस इंस्पेक्टर फ़िरोज़ खान, जो फ़िल्म के प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, एडिटर और ज़ाहिर
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