Category: ज़रा सोचिये
ज़रा सोचिये
शनिवार और रविवार शांति से बिताने के बाद सोमवार सुबह जब आँख खुली तो शोर मचा हुआ था कि “लाल किला बिक गया।” सोशल मीडिया पर पोस्ट
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ज़रा सोचिये
अगर कोई पूछे कि आपने अपनी ज़िंदगी में सबसे क्रूर मज़ाक क्या सुना हैं तो मैं कहूँगा, “भारत का कानून सब भारतीयों के लिए एक बराबर हैं”। आरक्षण
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ज़रा सोचिये
वर्ष 2001 में सब टीवी का एक कार्यक्रम ऑफिस ऑफिस बहुत लोकप्रिय हुआ था। सरकारी दफ्तरों में ऊपर से नीचे तक फैली हुई कामचोरी और रिश्वतखोरी के
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ज़रा सोचिये
कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री जी ने अपने सबसे पसंदीदा विषय “कांग्रेस के काले कारनामे: नेहरू से मनमोहन तक” पर लंबा चौड़ा भाषण संसद में दिया और बैंकों
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ज़रा सोचिये
क्रिकेट का खेल तो हमें विरासत में मिला हैं। हमारे दादा जी देखते थे, पापा भी देखते थे तो हम भी देखते हैं। एक समय वो था जब
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ज़रा सोचिये
रामायण के सुंदर कांड में एक प्रसंग हैं। हनुमान जब सीता की खोज में लंका की और जा रहे थे तब नागों की देवी सुरसा, राक्षसी का रूप
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ज़रा सोचिये
एक समय ऐसा भी आया था जब विश्व और ब्रह्मांड सुंदरी बनना तो भारत की सुंदरियों के लिए बिल्कुल वैसा हो गया था जैसा एलियंस का दुनियां जीतने
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ज़रा सोचिये
6 साल पहले मैंने मुंशी प्रेमचंद जी की लघुकथाओं का संग्रह ख़रीदा था। कथा संग्रह २ भागों में था पर पढने का कभी समय ही नही मिला। करीब 2.5 वर्ष पहले जब मेरी माँ
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1992 में एक फ़िल्म आई थी, नाम था यलगार। फ़िल्म के एक सीन में 53 वर्षीय पुलिस इंस्पेक्टर फ़िरोज़ खान, जो फ़िल्म के प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, एडिटर और ज़ाहिर
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ज़रा सोचिये
कई बार मेरी माँ अपने एक ममेरे भाई को याद किया करती थी। वो कहती थी की वो बहुत अच्छा लड़का था पर छोटी सी उम्र मे ही
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